सुकून तलाशिये जरूर मिलेगा : फारूक अब्बास
फारूक अब्बास। आजकल की भागदौड भरी जिन्दगी में हम खुद के लिये समय निकालना भूल गये हैं। आज मनुष्य काम केे बोझ में इतना दबता चला गया हैै कि वो जिन्दगी का असली मकसद भूल गया हैै। जरा खुद सेे आत्म चिन्तन कीजिये कि जो आप जी रहे हो क्या वाेे ही वास्तव में जिन्दगी हैै। आप को ख्ाुद पता चल जाऐगा कि आप क्या भूल रहे हो।
दोस्तो अाज हम आधुनिकता में इतने खो गये हैं कि जिन्दगी क्या हैै ये भूल गये हैं। आज हम दौड रहें हैं बस जीतने केे लिये। लेकिन क्यों और क्या जीतनें केे लिये। आज हमारे पास अच्छा घर नही पडोसी के पास अच्छा घर हैै। आज हमारे पास अच्छा फोन नही हैं। हमारे मित्र केे पास मॅॅहंगा वाला स्मार्ट फोन हैं। हमें भी सब हासिल करना हैं फिर चाहे कैैसे भी करना पढे। बस इस दौड में दिन रात दौड रहे हैं।
क्या आपको पता है कि इन्सान कितना भी अमीर हो जाऐ भूख तो रोटी सेे पूरी होती हैै। खानी तो दो रोटी हैं। पहना तो कपडा ही हैै। दोस्तो जरूरत कभी खतम नही होती वो बढती जाती हैै। अब अंबानी जी को ही देख लो। क्या वो रूक गये। नही अभी भी लगे हैं और अमीर बनने में। कब तक अमीर बनेंगे और कितना अमीर बनेंगे। और फिर बाद मेंं क्या करेंगे। घर उनका कितना भी बडा हो पर रहते तो एक कमरें मेंं ही हैंं। कमाल की जिन्दगी हैै यार। क्या कर रहे हैं कोई जबाब नही। क्यों कर रहे हैं कोई जबाब नही। सुकून श्ाायद बिल्कुल नहीं।
खैर ये तो बडे लोगों की बात थी। हम लोग क्यों भाग रहे हैं। क्या हमें मॅॅहंगा वाला स्मार्ट फोन मिल जाऐ हम भागना बन्द कर देंगे। क्या हमें अच्छा वाला घर मिल जाऐ हम भागना बन्द कर देंगे। दोस्तो हम दौड रहे हैं उन चीजों के लिये जिनके बगैर हम जी सकते हैं। वो न हो तो हमारी जिन्दगी में कोई फर्क नही पडता। लेकिन भूल रहे उन चीजों को जो हमारी जिन्दगी में सबसे ज्यादा महत्व पूर्ण हैं।
आधुनिकता के पैराें तले दबता जा रहा है हमारा सुकून। आज हम सेल्फी लेकर लोगों को दिखातें कि हम खुश हैं। इस दिखावे केे पीछे रो रहा है हमारा चैैन। पता हैै हम क्यों परेशान हैं। क्योंकि हमारे पास जॉब पर जानें का टाइम हैं। लेकिन खुद केे लिये कोई टाइम नही। कभी कभी कितना अच्छा लगता हैै जब पूरी फैमिली एक साथ बैठी हो अौर अच्छी अच्छी बातें चल रही होंं। कितना अच्छा लगता हैै। लगता है बस वक्त यहीं रूक जाऐ। लेकिन येे हमारे हाथ में नही हैं। अगर येे हमारे हाथ में नही हैं तो क्या हुुआ। हम चाहें तो ऐसा ही वक्त फिर से ला सकते हैं श्ाायद रोज। हम रोज पूरी फैमली के साथ बैठ सकते हैं। करके देखिये कितना सुुकून मिलता हैै।
अापने देेखा होगा कि छोटे बच्चेे कितने खुश रहते हैं। पता है क्यों। वो खुश इसलिये नही रहते कि उन्हे दुनिया से मतलब नही बल्कि वो खुश इसलिये रहते है कि जिस काम में उन्हे आनन्द मिलता हैै, सुुकून मिलता हैै वो काम वो बार बार दोहराते हैं। आपने देेखा होगा कि किसी बच्चेे ने कोई चीज फेंक दी अौर वो खुश हो गया। आपने वही चीज उसे फिर से पकडा दी। उसने वो फिर फेंक दी और फिर खुश हो गया। आपने पकडा दी और उसनें फिर फेंक दी। पता है वो बच्चा खुश क्यों हैं। क्योंकि उसे अच्छा लग रहा हैै वो उसे बार बार कर रहा है। फिर हम क्यों नही कर सकते।
खुद के अन्दर झांकिये। आत्म चिन्तन कीजिये कि आपको क्या अच्छा लग रहा है। तलाशिये किस चीज में आपको सुुकून मिलता हैै। बस उस काम को करिये बार बार करिये। फिर देेखिये ये जिन्दगी कैसे एक खूबसूरत किस्से की तरह लगने लगेगी। आप सेे ज्यादा खुद कोई नही होगा इस दुनिया में। और तब जो मजा आयेगा न जीनें में क्या कहनें। तो बॉस लगे रहिये अौर सुकून सेे जीते रहिये। क्योंकि सुकून जरूरी है।

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